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“प्यार में लड़के कभी बर्बाद होते हैं क्या???”

RAAH E KHUD
RAAH E KHUD
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कैसी बेवकूफ़ी भरी बात है – “प्यार में लड़के कभी बर्बाद होते हैं क्या???”
क्या तुम इतनी बेवकूफ़ हो या जान के भी अंजान बनती हो……
मैंने तुम्हें कितना प्यार किया ये तुमसे ज्यादा किसे पता होगा।
तुम्हारे कई दोस्त थे जिनमे मेरी कोई जगह नहीं……पर मेरी तुम एक ही दोस्त
जब मैं अपना वक्त तुमपे लुटा रहा होत था……तुम दूसरों के साथ मशरूफ़ होती थी
जब मैं तुमसे बात करना चाहता था…………तुम दूसरों से बात करने में लगी होती थी
मैं हर वक़्त तुम्हारे साथ्……तुम्हारे लिए……खड़ा रहा – जब भी तुम्हें मेरी जरुरत थी
पर जब भी मुझे तुम्हारी जरुरत थी……तुम मुझे छोड़ के जा चुकी थी – सिर्फ़ दूसरों के लिये
वो दीवाली की रात जब तुम दूसरों को बधाइयां दे रही थी उनकी ज़िंदगी में खुशी के दिए जला रही थी……काश तुमने देखा होता कि मेरी ज़िंदगी में कितना अंधेरा है
बिल्कुल मेरे कमरे की तरह्……जिसमें मैं सिसक रहा था सिर्फ़ तुम्हारे लिए
मेरा सब कुछ तुम्हारा था……तुम्हारा कुछ भी मेरा नहीं
तुम्हें दूसरों से कभी इतनी फ़ुर्सत नहीं हुई कि एक बार ये जान सको कि कोई तुम्हारे लिये अपना सबकुछ गंवा रहा है
क्या तुम मुझे लौटा सकती हो वो वक़्त जो मैंने हर काम छोड़ के तुम्हें दिया??
क्या तुम मुझे लौटा सकती हो मेरा दिल सही-सलामत??
और तुम कहती हो – “प्यार में लड़के कभी बर्बाद होते हैं क्या??”
और फिर तुम्हारे वो झूठ
खैर उन सारे झूठों में एक झूठ मुझे बहुत प्यारा है
जो तुमने मुझसे कहा – “तुम मेरे लिए बहुत खास हो”
पर तुम तो मुझे सच में बहुत प्यारी थी……………इसलिए मैंने तुम्हारी बड़ी-बड़ी गलतियों और मेरे दिल को दुखाने वाली हरकतों के बावजूद तुम्हारी परवाह करना नहीं छोड़ा
पर अब कोई उम्मीद बाकि नहीं कि कभी तुम्हारे दिल में मेरे लिए कुछ होगा।
और मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूं
मैँ कोई काम ढ़ंग से कर नहीं पाता क्युंकि दिमाग तुम्हारे सिवा कुछ सोच नहीं पाता
लगता है मेरी ज़िंदगी अब ऐसे ही चलेगी………जैसी बीते साल से चली आ रही है
तुम्हें याद करते……आंसू बहाते……सिसक-सिसक के……घिसट-घिसट के
और तुम कहती हो – “प्यार में लड़के कभी बर्बाद होते हैं क्या??”

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